आज सीखड़ली देवतां, बिलखा हुया सैं भाई,

भणिया पढिया साथ में, आज आई विदाई।

हिळ मिळ रेतां हैत है, सुख-दुख शैलै साथ,

जोड़ी बळदां बिछड़तां, रोवै सांवण वाळी रात।

मिळै मोद सूं मानखौ, अर प्रेम वैजावै पंथ,

हिवड़ै हाजर वैयनै, वो धड़कन में धड़कंत।

बैटी बिछड़े बाप सूं, अर सासरियै सिधाय,

डब डब नैणां नीतरै, प्रेम पांणी बरसाय।

लाडली लजावतौ अर, सामी झुकावै सीस,

जस लीजै जबरौ बेटा, मायड़ री आसीस।

सीख सबां नै देवणी, अवसर आयौ आज,

बालौं नै बिछड़ावणौ, कुदरत रो कावळ काज।

फूल फळै अर फळ देवै, मनमाळी री इच्छा,

पढौ लिखौ नै पास करौ, जीवण वाळी परीक्षा।

ठाँव ठीकरा, खड़बड़, भैळा रयौ भिड़ जाय,

लखण लाड सूं देवता, आवळ कावळ कै जांय।

मन रौ मेल थै मैट दौ, सोडा ज्यूं करदौ साफ,

गळती वैतौ गाळदौ, मित्रौं नै कर दौ माफ।

पढ़ा लिखौ नै पास करौ, अमरु री आसीस,

हिन्दी हिवड़ै राखजौ, अेक भैर इंगलीस।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
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