म्हैं बोट बणावण सारू
गयो इस्कूल मांय
अदीतवार नैं अभियान हो
गुरुजी बैठ्या कुरसी पर
बीएलओ बण्या
म्हैं बोल्यो-
गुरुजी बोट बणवाणो हो
वोटर लिस्ट पकड़ावंता थकान
वै बोल्या-
ईं मांय थारै बाप रौ नांव ढूंढ।
म्हैं वोटरलिस्ट लेयनै
नांव देखण लाग्यो
जा पड़ी म्हारी निजर
बीं जिग्यां
जठै लिख्योड़ो हो-
'जाटों का बास'
सिक्खों का बास'
पण एक जिग्यां
लिख्योड़ो हो-
'हरिजनों की बस्ती'
मन मांय अचरज हुयौ
म्हैं पूछ बैठ्यो गुरु जी सूं
एक सवाल-
गुरुजी !
सगळी जातियां रा बास है,
तो हरिजनां री बस्ती किंया हुयी?
गुरुजी रै मूंडै रो
रंग बदळतां देर नीं लागी
बोल्या-
बोट बणवाय लै
पंचायती ना कर।
म्हैं काईं गळत बूझ्यो?