जुग बीत्यां
जलमै कोई
लाखां मांय सूं अेक सरवण।
पण, सपूत हूता
पूत सगळा ई।
अबै बदळगी टैम
बदळण लागी औलाद भी
पण मां-बाप
कोनी बदळ्या आज भी।
औलाद बदळै-बिगड़ै
तो दोस किणरो?
माईतां रो
सरवण रो
कै आज री
शिक्षा-पद्धति रो?
म्हैं कैवूं
नीं बण सको
तो मत बणो
सरवण,
पण
कम सूं कम
सरवण नैं
याद तो राखो।
कम सूं कम
माईतां रै जीव रा
कंस तो मत बणो।