समझूं आछी भांत

थारौ छळ

पण नीं चावूं

समझणौ

थूं समझै

आछी भांत

म्हारौ हेत

पण नीं चावै

समझणौ

किंयां समझायीजै

उणनै

जिकौ सो-कीं समझै

पण कीं नीं समझै!

स्रोत
  • पोथी : रिंकी टेलर ,
  • सिरजक : कुमार अजय ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
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