अरै

मर रै

तेरो धणीड़ो

मरज्याय…

गुदळीजेड़ी

गाळ्यां रै

सीठणां

साथै

सातूं सुर

अलापती

भोमळी

सैहर रै

बजार मांय

मोकळा

अटळाखूं

सांसर फिरै

अर लड़ै

पण

मारकणो सांड

हर बखत अड़ै

इण री पिछाण

धड़ूक रै साथै

इण रा किरतब

धरप दियो नांव

उग्रवादी

अरै!

सांड.. भोमली रा कपड़ा खायगो

खोसो-खोसो

कपड़ा उणरी बेटी रो दायजो

कपड़ा उणरै मोसेड़ै पेट री गत्त

कपड़ा बीं री मोटी पत्त

कठै जुगाड़ै

बापड़ी

अेकर ओजूं देज-लेज अर दायजो

अब

उणरी गत्त

मांदी मरियल अर

सैंग-मैंग!

अेक गरीब

नै

दूजो भूखो

स्यात

छिनाळ रांड

भूख ही

बणाय न्हाख्यो

इण नै उग्रवादी!

इणीज वास्तै

इणरो यो ढ़ंग

राजी-खुसी नी मिलै तो

खोस कर खांवणो भी तो

जीवण रो अेक अंग

भूख नै चाये तिरपत

लफोसां री बाट्यां सूं

कद भरीजै

पेट?

काढ़ल्यो

चाहे

कितणी ही गाळ्यां

पण

नहीं डरै

जदां ही

खुल्लो चरै

क्यूं के

इण नै

सगळा वादां सू दूर

तलास है

फगत अेक

समाजवाद री!

स्रोत
  • पोथी : पांगळी पीड़ रा दो आखर ,
  • सिरजक : एस.आर. टेलर ‘सुधाकर’ / श्याम सुन्दर टेलर ,
  • प्रकाशक : बिणजारी प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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