अेक
सबद बणज्या कैंसर जैड़ी गांठ
बैठज्या काळजै मांय
कटार ज्यूं करदै खूंन रिस्तां रौ
बण ज्यावै दुरजोधन अर दुस्सासन।
द्रोपदी रौ चीर-हरण
सीता नै बनवास
सबद ई रच्या
रगत रंग्या इतियास।
दो
सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कळिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।
अंवेर नै राखौ
काळजै में
जीभ सूं ओलै।