एक

सबद
आवै नजीक
चुग्गै रै मिस
पाळ्योड़ा पंखेरुवां ज्यूं
रिझावै म्हनै
कविता रै रूपां
अर हुय जावै फुर
अेकलो छोड'र
उपथ जावूं जद
मांडू लीक-लीकोळिया
अरथबिहूणा...
आवण ढूकै सौरम
अलोप सबदां री
पूरण हुवै कविता।
                 

दोय

खुद नै खोल्यो
हरमेस
पाना-पाना
खुलती किताब री गळाईं
कदैई कविता
तो कदैई कहाणी में
का पछै
नाटक कै उपन्यास मांडतां
सबद टाळ
किणनै सूंपतौ
म्हारी अंतस दाझ।


तीन 

बरतीजता
गाभां री गळाईं
अणमणा सबदां री
खारा खारी कान कुड़कली
सुण'र म्हैं
झट चिपाय लूं छाती
सबदकोस
स्यात
मेटण सारू सबद पीड़।
               
च्यार 

मती रैयाकर उतावळो
करण सारू आपवळू म्हनैं
म्हैं पाखी आजाद
राख थावस
कर दीठ सवाई
आवैला आणंद सवायौ
अरथावतां
सबद दर सबद।


 पांच 

बगत-बेबगत
सबद रचै कुंडाळा
ओळै-दोळै म्हारै
जिणां नै छेकण सारू
तोड़ूं ताफड़ा
अर जियां-तियां
नीसरूं बारै
घिर जावूं बीजै कुंडाळां मांय
ढब इणी सबदां बिचली कूद-फांद
कटै जूण कवि री
अर्थ रो निरत
उण री कविता।


छव 

अबोला सबद
बोलणा चावै
चावै मुगती
डिक्शनरी री जूण सूं
कवि अरथावै बांनै
सूंपै नूंवो जमारो
न्यारी-न्यारी कोनी हुवै मुगती
कवि अर सबद री।


सात 

सिचला सबद
सबद कीं अचपळा
मांडै रामत
म्हारै अंतस
म्हैं विणतूं-
खेलो धाप'र
पण मत खाईज्यौ रुगसी।

आठ 


मोळी पड़ती दीठ
भाळूं सबदां रो बहीखातो
अरथावण सारू
आपू-आपनैं
ओ ई
अेकूको मारग
कवि री मुगती रो।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : कमल रंगा