रोटी फगत

एक सबद नीं

एक भाषा है

पूरी-पूरी भाषा

भूख री

जिण नै फगत

चूल्हो भूख अर पेट जाणै।

इण सबद री

भाषा

नापै भूख नै

नाप परी

खुद बुझ जावै

फगत एक बार

किणीं गरीब रै पेट में

भळै चेतन होवण तांई।

चूल्हो

निरो आलोचक

कूंतै फगत

रोटी री भाषा

सबद अनै उण री व्यंजना

संवेदना नै टाळ

बो कद जाणै

भूख री तड़प

बो जाणै फगत

भीतरली आंच।

स्रोत
  • पोथी : तीजो थार-सप्तक ,
  • सिरजक : नरेश मोहन ,
  • संपादक : ओम पुरोहित 'कागद' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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