रोही में जे डांड्यां
नहीं तो न सही
ऐ गेला
बठै जावै तो है।
इण भोम पर
जे सिर ढापणनै छात
नहीं तो न सही
तारां-भर्यो
ओ आकास दीसै तो है।
इण चिलकती तावडी में
जे ठंडी पून
नहीं तो न सही
तातो बायरो चेतावै तो है।
जिन्दगी में जे चैन
नहीं तो न सही
परेसान्यां संदेस सुणावै तो है।
सभा में बैठ्या ऐ बोळा
नहीं तो न सही
थारी म्हारी
कुबत तो जाणै है।