डूंगर माथै

बरस्यो झाझो मेह

भाठां रै किण काम रो,

बापड़ा पैलां भी सूखा हा

अर अबार पण सूखा ई।

पण पैलां सूं भरिया थका

नद-नाळा उफणग्या,

पाणी रो सूखै सूं हेत क्यूं नीं।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : पुरुषोत्तम छंगाणी ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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