कुण देख्यौ रेत-रूप
मिल्यो किणनै रेत-रंग
ठौड़-ठौड़ दीसै रेत-राज।
मन रळियो बणी देह
काया री माया सारी
रळ्यो पाणी बण्या भाखर
परबत ऊंचा-ऊंचा
मिल्यो ताप
फळ्यो बीज, निपज्यो धान
सै कीं रेत रै ताण
पण रेत कठै
कठै धरती
तो कठै परबत
कठै काया
कुण देख्यो रेत-रूप
मिल्यो किणनै रेत-रंग
ठौड़-ठौड़ दीसै रेत-रात।