अजै जैन स्यापौ हैं
जी, ग्यांनी जी!
ठीक फरमावौ थे
माई-बाप हौ म्हारा
ओ तौ बडकां सूंपेड़ौ
हक है आपरौ
ठठायनै हांसौ
नींबू अर नीच नै
नीचोयां ई
कढै है रस,
रस
खूब रुचै है नीं आपरै ?
नीच बिना नीरस
हुय जावौ हौ थे,
धरती थारी
आभौ थारौ
चांद, सूरज, तारा
सगळा थारा ई थारा,
पांणी थारौ
पूंन थारी
नीच री जवांनी माथै
हक थारौ,
वींरी जिंदगांणी माथै ई
हक थारौ!
आपरी व्यवस्था मांय
सो- कीं चावै,
वौ चावै
जद चांद अर मंगळ माथै
बसता हुवै गांव
तद इणी धरती माथै
खाट ऊपरां
थारै बरोबर बैठण सारू ई
नीं करणौ पड़े
वींने आंदोलन!
घोड़ी आपनै मुबारक,
वौ तौ सईकां सूं
बंक भरेड़ी
आधी टांग नै
करनै सीधी
हुवणौ चावै खड़यौ
तणनै
धनख बांण री भांत
तणनै।
2 अजै जैन स्यापौ है
माई-बाप!
आरक्षण सूंप्यौ है आप,
पण कैवौ
ओ आरक्षण
घोड़ी है घोड़ी
डेढ टांग वाळां री,
थे फरमावौ
दौड़ पूरी करेड़ा लोगां बरौबर
ऊभा करनै
केई अणभाज्या लोगां नै
दौड़ पूरीजेड़ा ई मानीजै,
साच कैवौ हौ आप
माई-बाप!
थे ई बतावौ माई-बाप
दोय साबत टांग वाळौ
कुण चावै काख मांय घोड़ी,
वौ तौ ढचरकौ छोडनै
दौड़णौ चावै
लगौलग दौड़णौ!
वौ तौ आपरी पांती रा
धरती-आभौ
पूंन-पांणी
चांद-सूरज, तारा
3 अजै जैन स्यापौ है
जी, ग्यांनी जी!
आजादी पछै सो-की
घणी अटावरी भांत बदळ्यौ है,
स्हैर मेट्रो बाणग्या
उगग्या कंकरीट रा जंगळ
लूंठा मॉल
मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर
चिलकती गाड्यां री घोळमथोळ
चूंधता चांनणा
विकास री होड मांय
अेक-दूजै नै लारै छोडण सारू
तळसूं-मळसू हुवता लोग,
जी, ग्यांनी जी!
विकास रै इण नाप-सांधै
अैन आधुनिक लोगां बिचाळै
भाड़े रौ कमरौ लेवण सारू
परबस
अर लाचार हूं
क्यूंकै
म्हैं चमार हूं।