म्हारी जूझ री

साची साथण

म्हारी रसोई है

आटै रौ पीपौ,

मीठै तेल वाळी सीसी,

लूण-मिरच री हटड़ी,

म्हारौ चूल्हौ

परतख दीखै म्हनै—

म्हारा लारला बरस

गळबांथी घाल्यां।

स्रोत
  • पोथी : थारी मुळक म्हारी कविता ,
  • सिरजक : गौरी शंकर निम्मीवाल ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
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