गौरी शंकर निम्मीवाल
नूवी पीढ़ी रा ऊरमावान कवि।
नूवी पीढ़ी रा ऊरमावान कवि।
आज बा
अबोट हिरणी ज्यूं
अधपकी सी ओळयूं
अजै बांचणौ है सो-कीं
आंख्यां मांय हंसतौ गांव
अणसैंधी भूख
भान
धोबो भर् यो पाणी रो
दोना कांनी
हक मांग्या नीं मिळै
हंसतौ- मुळकतौ गांव
झुळसतौ रैवूं
खेत री बां जमीन
मा
म्हैं चिड़ी मांडूं
म्हारा पिताजी
म्हारौ गांव
मून धार्यां बैठी रैयी बा
निरखतौ रैयो
ओ परेम
ओळयूं
पांच माथा चाईजै
पीड़
रसोई
सवाल (अेक)
सवाल (दो)
सीव अर पीड़
सो-कीं
सूरज री भोर
थारौ ईसर
थारी मुळक
थेपड्यां रै मिस
थूं बुहारी काढ़ती