अरे गांवेड़ी गुसांई
फेरू अेकर तौ पा थारोई ई गांव
अर सुंदरकांड रौ पाठ पाछौ तौ कर,
थारी रतन सीता रौ सराप
थनै ही लागतौ
सो थारै तप री टणकाई टाळियौ
पण इण बैर बिटकै बखत री
गारुड़ी गावता कवियां नै लड़ग्यौ,
जे झाडौ उथलणौ नीं भूलियौ हुवै
तौ थनै राम री रजपूती री सौगन।
अेक वार
इण जूनी भागीरथी रै भाग रौ ही सही
उथल नै तौ देख।
आपाधापी री तापड़ माथै
इण बिलळे विलाप में
सगळी जुग गेळीजग्यौ
कोई भरत री मुरछा भागियां ही
इण जुध री निरण निकळसी।