आज दिवारी, काल दिवारी
पमणें दाड़े राजा राम नी दिवारी, मेऽरियूऽऽऽ
मेरियू अवे कैने घेरे,
कूंण पूरे तेल बातियं मअें
हेरते थायेगा जोऽआरसाऽऽ
आलेगा कूंण पतासं
ओ दिवारी ना रामचंदरजी
अंधारा मअें बेठा थका!