भरमास कठै सूं आयगी

अर थोथौ गिरब किण खाण सूं

खोद’र लायौ है।

कुणसी पाटी मांय भणी थूं

अहम पाळण री आण,

कुण कह्यौ थनै कै थारी अकल

आखै जगत री आंख बणगी है।

कुणसै महलां मांय सीख्या

डोळा काढणा,

कुण कह्यौ थनै कै थूं अरजण सूं तीखौ

अर भीम ज्यूं लूंठौ है।

कुण कह्यौ थनै कै सेसनाग रै पछै

धरणीधर थूं’ज है।

कुण बगनौ बणा’र गयौ थनै कै

राम’र किरसण रै गैलां हेक

थूं’ज है अठै रौ लोकपाळ।

म्हैं कहूं थनै कै

थूं फगत तिणखली है,

जिकौ झेल नीं सकै

काळ रा भतूळिया,

म्हैं कहूं थनै कै थूं बखत रा

सागर रै हबोळा रौ फखत छांटौ है।

म्हैं कहूं थनै कै

थूं काळ रै मूंडा रौ थूक है

जिकौ गटकीजेली पलक झबूकै।

गुमान अर भरम मांय जीवण आळा

केई ग्या बायरै रै दोट सूं

अर सुणलै

थूं जासी सागै उणी’ज भांत।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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