आखी उमर सोध्यां

सबदकोस में कोनी लाधै

प्रेम रै जोड़ रो कोई सबद।

पोथ्यां फिरोळ्यां कोनी सरै

जूण नैं खुद रचणी पड़ै-

प्रीत री परिभासा।

एक बाटी आमरस

एक-दूजै नैं पावण सारू

पाणी पीय’र डकार लेवण रो आंटो

कविता में कोनी कथीजै

फगत लखाव करीज सकै।

जवान हुयां

बोछरड़ो कोनी रैवै प्रेम

स्याणो-समझदार हुय जावै।

स्रोत
  • पोथी : चीकणा दिन ,
  • सिरजक : डॉ.मदन गोपाल लढ़ा ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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