म्हैं सुण्यो है

साल मांय अेकर

आवै है प्रेम दिन

म्हैं काईं नाम दैवूं

इण प्रेम नै

जिको आवै है

साल मांय अेकर

आपां ढोंग करां

प्रेम रो

प्रेम होवंतो तो

माँ री घर मांय कदर होवंती

प्रेम होवंतो तो

बापू दवाई खातर

कोनी तरसतो

प्रेम होवंतो तो

बाई रा सुपना कोनी लुटीजता

प्रेम होवंतो तो

छोरियां नै कदी

बांध'र कोनी राखी जाती

प्रेम होवंतो तो

कोनी मरतो मिनखपणो

कठै है प्रेम…?

थै बताओ तो

म्हैं बीं देखूं

किस्यो’क होवै है प्रेम।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : यूसुफ खान साहिल ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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