प्रीत कदै पांगळी नीं व्है-
पांगळा हुवै टूटता लोग
पांगळा हुवै टूटतै लोगां रा सपनां
पांगळा हुवै टूटतै सपनां रा संज
पांगळौ हुवै प्रीत नै नीं ओळखतौ
आखौ जगत!
प्रीत तौ सात सुर छै...
जिका झणक-झणक
सूंपै जगत नै रंग!
प्रीत तौ सात रंग छै...
जिका बणनै
सूंपै इंदरधनख!
प्रीत तौ सत छै...
जिकौ तपै
प्रेमी मन रै डूंगै रूपI
प्रीत गूंगी जरूर व्है
पण प्रीत पांगळी नीं व्है!!