मिन्नी पाळो

गंडक पाळो

हां, सिंघ भी

पाळो

पण नीं

पाळो प्रीत।

स्रोत
  • सिरजक : मनोज पुरोहित ‘अनंत’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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