थांनै ई तो दीखती व्हैला
आ जमात
गोडां बिच्चै माथौ दबायोड़ी
लागै के नीं
जीवन रौ मोल खून सूं चूक रैयौ है!
म्हैं सोचूं
मारग सू पग ऊतरै
के उतार्या जावै
लीलौ पड़ जावै
जद होठां रौ दूध
कंवळा हाथ
भीख मांगै, भाटा भांगै
के चक्की चलावै
अर हार जावै जद
आंखमींचणी रै खेल में
तौ पसवाडौ फेर लै
भगवान ई उणां सूं...
थे ई बतावौ
कठ तांई पूगै
आदमी रौ हेलो
कदैई-कदैई सिंझ्या रा
रात रै आडै आवतौ
सूरज रौ खून
गरम खून
मन रै च्यारूं मेर जम जावै
अर
अजांणी चीख रै कारणै
बरसां पाळ्योड़ी
कोई आस
मांदी पड़ जावै!