जिण घर मांय जावै
केई-केई रूप दिखावै
भूखौ सुवाणै
आंसू रा घूंट पिलावै
टाबर अर बूढां माथै
तरस नीं खावै
गरमी में तपावै
अर झुळसावै
सरदी में ठिठुरावै
अर हाथ कंपावै
बरखा में भिजोवै
सड़क माथै सुवाणै
ठौड़-ठौड़ भटकावै
कम हँसावै
घणौ रुवाणै
भलै मिनख नै
अपराधी बणावै
गरीब नै कोई
मूंडै कोनी लगावै,
अबखै बगत में
भगवान गरीबी सूं बचावै।