व्है गी क्यूं पराई
आपणा ही घर सूं
मायड़ भाषा म्हारी या
पूछे थाणे सब सूं
मिसरी री मिठी डळी ज्यूँ
मायड़ बोली लागे
मान मनवार अणी रा
जग सूं न्यारा लागे
व्है ग्या क्यूँ अणहुण्या
फूटरा बोल जग सूं
गरब गुमाण अणीरा
हर एक आखर में
स्वाभिमानी रगत भरयोड़ो
मायड़ भाषा बांतल में
आवा वालां टाबरां ने
किंकर वतलाव सूं
भांत भांत फुलड़ा री
माला गुन्थाई
मायड़भाषा राजस्थानी
जद म्है कैवाई
मान खोवाणौ क्यूं
ईण भाषा जग सूं
मायड़भाषा म्हारी या
पूछे थाणे सब सूं।