कुरसी घणी ठीमर

स्टूल ज्यूं ऊचांचळी कोनीं

पण ठावा ठीमर

सावचेत बैठणिया नैं ईज बैठावै

नीं तौ पटकै

इतियास रै आंगणै!

हबीड़ करती

खुळाय दै

पाछौ संभळणौ सौ'रौ कोनीं एकदम तौ

केई इतियास रै आंगणै

रैत में पड़िया रड़वड़ै

इणरी आस अर ऊडीक तौ

मानखा सूं लेय देवराज तांई सीरखी दीखै

इणरै असर देवराज विटळै

इणसूं हेत अपणायत

केई सूझता ध्रितराष्ट्र नैं आंधा करदै

इणसूं बात बंदोकड़ी आडावळ सा अड़पायत

सतवादी भीसम नै पाप रै पख में ऊबौ करै

इणरौ अेमभाव

भरी सभा में नारी नै नीं-वस्तर करवा रौ

नीच काम करै

इणरा अत्याचार रै आगे

सत्त री साख नैं जीवती राखवा

सांवरियौ वस्तर बधावै

तद इणरी औकात मानखा रै समझ में आवै

पायां इणरै

सतवादी नहुष पाप रौ पंथी बणै

इणरै जावण रौ डर

बैन बैनोई नै जेळ में घालै

भाणजा-भाणजियां नैं जनमतां मारै

इणनै पावण री उतावळ में

बाप नै ऊठाय गढ सूं पटक'र मार नांखै

इणरी आस बेटा नै वनवास दिरावै

बाप नै जेळ में घलावै

भाई री आंखियां कढावै

आपरा गरू नै मरावै

इणमें भांजौ पड़वा रौ वैम बेटी नै जैर दिरावै

इणरा अत्याचार रौ आंटौ काढण

घरदीठ एक जणौ मांगै

जद सत्त श्री अकाल बोलै

सो निहाल रौ सुर गुंजै

इणनै पावण री भयंकर भूख

पीढियाँ रा प्रेम रौ पापौ काटै

भेळप में भांजौ पटकै

पाकिस्तान बणावै

कुरसी कांई कांई करावै

कांई कांई करावै?

स्रोत
  • सिरजक : राजेन्द्र बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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