पीढ्यां खपगी पंथ उजावण, जनबळ झूं झ्यौ जग उथलांण,

जुग जुग जोधा जीव होमियां, ईं धरती पर, रंग जमांण,

माथा दै त्यूंवार मनाया, सींच्यौ रगत नींव परमाण,

रमत मांडता सूळी ऊपर, मौड़ बंध्या जाता रणधांम,

वां अणजाण्यां अणगिणती रा, मड़द बणायौ राजस्थान।

बांकड़ली मूंछों वाळा नर, आडा पेच कमर तलवार,

पदमण, मूमल, मरवण सरखी, रूपाली गवरां दै नार,

जौवतड़ो जोहर में बळगी, सतपथ निछरावळ कर प्राण,

पन्ना धाय, उमा भटियांणी, गरब करै जिण पर हिन्दवाण,

जगदम्बा, काळी, मौमुण्डा, करणी, हींगळाज रा थांण,

अपन परखियौ, सोने झड़ियौ, मां सतियां, रौ राजस्थान।

धोराळो धरती धणियांणी, आडावळ डूंगर असमांन,

माखणियौ, रातौ, पीळौ, छींटाळौ, छितराळौ पाखांण,

गळतौ, बालसमंद, नक्की, पुष्कर, पीछौळौ, सांभर पांण,

गंग, जवाई, चम्बल माथै, छिलछिलता भरिया नीवांण,

नाडा, तळा, बावड़ी बेरा, अरठ सुणावै मिठी तान,

सोरठ, सांरग, माड, देस, राग रंगां रळियौ राजस्थान।

बाजरियां रा पूंख संवाळा, काचर, चिणां, काकड़ी, थोर,

करै, भुरट, बांवळियां, खेजड़, थूम्बी, आक, मतीरा, बोर,

मैंहन्दी, पनड़ी, रंगरस रूड़ौ जऊ, जवारा, गेहूँ, मोठ,

गोफळियां, सांगरियां मीठी, मीठी बोली जाणैं मोर,

रूखी, सूखी छाछ राबड़ी, बाँको भेस, निराळी स्यांन,

सीधौ सादौ, रूप सं वाळौ, रंग रंगीलौ राजस्थान।

मेड़तणीं मीरां मतवाळी, संत, कवि, गीतां री खांण,

लूहर, धूमर, गेर, तमासा, गिणगोर्‌या घुड़लां रा गांण,

बारठ री बोली में सुरसत, मांगणयारां गळै गुमेज,

रुण झुण, थाळी, अलगूजौ, सुरणाई, नौबत, ढोल-निसांण,

बकरी, गाय, बळद, घोड़ा, ऊंटां पर सजियोड़ा पल्लांण,

तेजा, ख्वाजा, पीर, रामसा, देवां रौ धन राजस्थान।

स्रोत
  • पोथी : हंस करै निगराणी ,
  • सिरजक : सत्येन जोशी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
जुड़्योड़ा विसै