बखत रै बदळाव

सागै

बीतग्यौ थारौ सोच

थारी समझ,

थारै सोच रा कच्चा ढूंढा

लैवड़ा छोडता

इतियास रै

पुरातत्व खातै में

खतीजग्या-सा लागै

म्हनै मालम है

समंदर मंथण री कथा

अर

बिलोवणै रौ

इमरत-विख

काळ-कूट तौ

महादेव पीग्यौ

पण अब किणरी खिमता?

घर-घर

रामकथा बांचीजै

क्यूंकै

बिण रा पाथर तिरिया

अर

आज तांई लोगड़ा

आपरी तिकड़म रा पाथर

तिरावण लाग रैया है

गूंगा-चमगूंगा

उण

जटायु अर संपाति नै

बिसरावता लागै

स्वारथ रै सोन मिरगलै रै

लारै बेभाण भागै

बिथा-कथा

लीरम-लीर

हुवती-सी लागै

कठै घड़ीजै

अब काळिदास

भारवि

अर माघ,

ना बाल्मीकि रौ आसरौ

ना तुळसीदास रौ सासरौ

कठै गई प्रेरणा

कठै गई फटकार

अमूजौ अमूजौ

समाज अर संस्कृति री

पिछाण

ना दीखै नामोनिसाण

बात-ख्यात

पट्टा-पीढियावळी

हाल-हकीगत

दवावैत

सिलोका

मेलीजग्या

जूनै पोथीखानां मांय

दीठ रौ आंतरौ

लखावै

छूंतरा-पड़छूंतरा

उतारता लागै

बात रा धणी भाजै

बूंबा-बगना

बावळा

आवळा-कावळा!

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : शिवराज छंगाणी ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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