कविता
नीं तो लिखीजै
अर
नीं बांचीजै।
कविता
इन्नै-उन्नै
खिंडियोड़ी
अबखायां रै अंगारां नै
आपरै अंतस मांय भेळ
बुझावण री
एक क्रिया है
इण मांय
बळण री संभावना जादा है
बचण सूं।
इण क्रिया नै
उथळ’र
आपरै मांय
मै'सूस करण रो नाम
कविता रो
बांचीजणो।
इसै समै
कविता बांचणो
अनै लिखणो
किणी जुद्ध सूं स्यात ई कम हुवै
कुण है जिकै मांय इण जुद्ध नै
जीतणै रौ दम हुवै!