नीं है कै

हूं प्रेम नीं कर्‌यो।

अर

भी नीं है कै

मनैं नीं कर्‌यो

पीड़ तो है कै

प्रेम

भोत पोचो उतर्‌यो।

मेरी

बजनी बातां बिचाळै

पोचोपन

फगत बिण प्रेम री पड़छायां है।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप पारीक 'दीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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