मन्दिर ने आँगणे
ऊबो गल्लो
पीपळो
वरसो थकी
साँभरी रयो है
कई.क...वारताए
कूण जाणे
केटली
पीढ़िए नी
नारी व्यथाए
कोई सावित्री
मांगी रही है
एना सत्यवान
नु आयुस
जै पड्यो है
हस्पताल मएँ
के अधवैसे कैंक
डूबे ने नैया
कोय दमयंती
कगरती थकी
मांगी रई है
एना नल नु
खुवाएलु राज-पाट
ए..दसा माँ!!!
घर में कारेय न्हे आवे
अवदसा
माँगे
बेटा नी नौकरी
बेटी नो विवा
परदेस मएँ
धणी नी कुशल
काला-वाला करी ने
कै है
अवे तो भरावो जुवै
ख़ालिखम्म खोळो
कोएक मांगी रई है
देवा नो चुकारौ
हौक ना काळा जादू थकी
स्वामी नो छुटकारो
छाँटा पैली छावण
सासु माँ नँ मेंणं
ननद नँ लाकडँ लडाब्बँ
नती सेहवातँ हवै
खेतर में फसल
पशु नी नसल
बीजू भी
कोण जाणे
हुं हुं
मांगती ज रऐं
आ बड़बड़ाती थकी
हँणगार करी ने
पीपळो पूजती बाईए
ने एरे-मेरे
फैरा फरती वैरा
दुःख नी मारी
आ व्रत-धारिणिअँ ने
मन मएँ
हुं गड़मथन
चाली रई है
ई ज जाणै हैं
कै जाणे आ जूनौ पीपळो
जेणे हामरी हैं
वरसो-वरस आवी कथाएँ॥
नारी जीवन की व्यथाएँ॥