म्हारी फरूकण लागी है

डावी आंख

संभळजौ संभळजौ

सावचेत रेजौ बेलीड़ां!

कै अबकै तौ अणवाया

नीपजैला अड़क बीज अर धान

खेतां पछैटा खावती बेलड़ियां

को मावैला नीं फाळ!

इतरौ नीं...

वायां तौ घणां ऊगैला असल

पण घूंटीज्यां कुमळाय विळसेला

कूड़ां अर कपटियां रा गाईजैला जस

आखै जगत

छतापण सांचा रौ सत हारैला...

ईमानदारां री व्हैला फजीहत!

चौड़ै-धाड़ै-

बेईमान धापटा करैला

बात अठै ईं नीं थमैला

कूड़ां अर बेईमांनां रै सिर

सजैला सेवरा अर

होळी माथै आंरा

गाईजैला फाग...

घणी झाळ-झाल व्है

उठैला होळका

आपरी रीस

अर उणरी

चटकती देह सूं

उछळैला चिणग्यां अणमाप!

उणरै मंगळीज्यां उपरांयत

गाईजता रैवैला फाग

नसै में धुत्त व्हियोड़ै

गेरियां री थाप

छतापण चंग री चीपां तौ

झुरती रैवेला अणथक...

इण अबखी अर कोजी वेळा

होळका री रीस नै अंगेज्यां

जिकौ कीं करणौ है

थांनै करणौ है म्हारा बेलीड़ां

थांनै खोलणी है

तीजोड़ी आंख

थांनै ई..!

स्रोत
  • पोथी : मुगती ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • प्रकाशक : मरुवाणी प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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