आदमी

फ्रेम में कैद

अेक तस्वीर

आदमी

फ्रेम में कसियोड़ी

अेक तदबीर

आदमी

फ्रेम में जड़ियोड़ी

अेक तकदीर...

इण चौखट नै तोड़ण वास्तै,

खीलां री सलीब सूं मुगत हुवण वास्तै,

दरद'र घुटण सूं छूटण वास्तै

तस्वीर

झुंझळावै,

छटपटावै,

तड़फड़ावै

पण कसाव

उल्टो बधतो जावै!

तन पार कर'र

मन तक पूग जावै

अर चौखट नईं टूटै

तस्वीर टूट रैयी है

घेराबन्दी नईं घटै

तदबीर मिट रैयी है।

अे काठ री लकीरां नईं घटै

तकदीर री लकीरां घट रैयी है...

चौखट सही सलामत है,

तस्वीर लोहीझाण है!

पण-

जिण दिन तस्वीर आपै नै पिछाण जासी

हर कैद, हर किला-बंदी टूट जासी।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : लक्ष्मीनारायण रंगा
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