करसै री जोड़ायत

पाळै-पोसै अर सींचै दिन-रात

फिरै रात्यूं रुखाळी सारू

मारग चालता

गुवाळियां री

निजरा सूं बचावै

जवान छोरी रै माण दाईं!

पण...जद पाक जावै,

जोबन जवानी री लकीर लांघ जावै

बिछड़ जावै मा बेलड़ी सूं...

करद्यै दान

आपरी ओझरी, काया, हाड

दधीचि दाईं..!

उतार खालड़ी

सूखा देवै तावड़ै...

करद्यै काया रो कोथळियो

जणा जाय’र बणै

टींडसी रो फोफळियो।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : जगदीशनाथ भादू 'प्रेम'
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