सांस रै सारै

मौत री काया

टूट'र बिखरगी

धरती सूं चिप्योड़ा पगां में

नफरत री गंध

धीमै-धीमै सालरगी

अणछक कांधां रै ऊपर

अतीत रो बोझ

नसां नै तोड़ण लाग्यो

समंधां री छीयां

भूत री दांई

साम्है खड़ी होगी

झोळ चढ्या सबद

कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै

मिनख काठ सो बणग्यो।

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन
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