कई दिनां पछै

उठाई है आज कलम

प्रेरणा सूं

कोई महा सगती री

क्यूं कै बिना प्रेरणा

मिनख मांय उपज नईं सकै

भावना भगती री।

अब इण भाव भगती मांय

जे म्हारी एक कविता बधै

तो बधो,

समाज रै काम नईं आवैली

तो मत आओ।

डायरी मांय पड़ी रै’सी

ज्यूं ईं रै साथै री और खड़ी है

ब्यूं ही कोई संकलन मांय

आवण री खातर लैण मांय

खड़ी रै’सी।

कैवण रो अरथ?

कै प्राप्ति हुवै

भलांई नीं हुवै अभीष्ट री

रसै सूं पै’ली प्रार्थना जरूरी है ईष्ट री।

स्रोत
  • पोथी : बानगी ,
  • सिरजक : मोहन आलोक ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम
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