फगत अेक चिट्ठी

सूं इज

कर लैवणौ पडै है संतोस

जांण कर देवणा

पड़ै है सगळा

समांचार

परदेस में

सबसूं नजीक री

संगाती व्है है चिट्ठी

बारै कोसां पछै

बदळ जायां करै बोली

नीं बदळे चिट्ठी रौ उणियारौ

मिनख सूं

रगत रौ रिस्तौ व्है है

चिट्ठी रौ परदेस में

मिनख रौ अेक दूजै सूं

उठ जावै है पतियारौ

नीं उठै चिट्ठी सूं विस्वास

घर री ओळ्यूं

पांणी रौ सवाद

हरख रौ परसाद है चिट्ठी

फगत अेक कागद

नांखनै इज

कर लैवणी पड़ै है

रिस्ता री जांच

कर दैवणी पड़ै है

लोकलाज री खानापूर्ति

हर लैवणी पड़ै है

सगा-व्हाला री पीड़

थ्यावस बंधायनै

परदेस में

सबसूं मोटौ

नेगचार है चिट्ठी

बीत्यौड़ा बगत री

डेळी अर

घर-बार है चिट्ठी

सबसूं मोटा

समाचार है चिट्ठी

टुकडौ नीं है

कागद रौ

मोटा सूं मोटौ

वैवार है चिट्ठी

चिलकौ है आंख रौ

होठां री हांसी

तीज’र तैवार है चिट्ठी

देस रौ

परदेस में

आधार है चिट्ठी

आस है निरास री

अमावस में

उजास है चिट्ठी

माछळी है मिनख

परदेस में

चिट्ठी पांणी है

परदेस में

चिड़कलौ है मिनख

लीलौकच्च रूंख है चिट्ठी

फगत अेक

रूंख माथै इज

बैठै है चिड़कलौ।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : कुन्दन माली ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
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