छैल छबीला मनमेळू रौ निरखूं म्है उणियारौ रै,

साजन थारौ रै.. प्रीतम प्यारौ।

प्रीत पांखड़े उड़ती बालम,

कुं कुं पगल्यां आई रै,

हिवड़ै हैज हिलौरा देती,

गीत प्रीत रा ल्याई रै,

चंवरियां में चढ़तौड़ी साजन हिवड़ौ काँप्यो म्हारौ रै,

साजन थारौ रै.. प्रीतम प्यारौ।

काजळ टीकी कौर जरी री,

फागणिया मंगवाय दो नी,

आयो फागणियौ साथणियां में,

लूंबर लै जावा दो नी,

नख सिख में सिणगार करूं मन मिलणै रो उमारौ रै,

साजन थांरौ रै.. प्रीतम प्यारौ।

सपना री सैंजा में साजन,

रातां जागूं अेकलड़ी,

सांवण आवण गिणतां गिणतां,

घिसगी हाथां रेखड़ली,

रूं रूं में रमियौ बिछुड़ौ आय इणे ऊतारौ रै,

साजन थारौ रै.. प्रीतम प्यारौ।

निरमोही परदेसी पंछी,

कियां तौड़ी प्रीतड़ली,

रातां झुर झुर रौती काढू,

आवै कौनी नींदड़ळी,

तीजां रौ सिणगार उडै मन घणोई लागी खारौ रै,

साजन थारौ रै.. प्रीतम प्यारौ।

कितरां कंवळा कौल किया थै,

कदीन दूरां रैवांला,

रीत प्रीत री रांचाला अर,

बांत हूंकारौ दैवांला,

था बिन पिवजी जावै जौबन, वैगौ धूड़ जमारौ रै,

साजन थांरौ रै प्रीतम प्यारौ।

जौबन छाई धण कुरलावै,

तारां मगसी रातड़ली,

चांद बसै जद दूरां देसां,

मरवण आधी बातड़ली,

बिन चंदै रै घर आगणियै छायौ घोर अंधारौ रै,

साजन थारौ रै.. प्रीतम प्यारौ।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
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