जंगळी जीव-जिनावर सगळा, बणी छोड़ बस्ती में आग्या।
क्रूर-तणा खूंखार आदमी, दड़ाछंट जंगळ में भाग्या।
होणै लागी उथळ-पुथळ-सी,
केठा’ के अंजाम बणैलो।
सागेड़ी खींचाताणी में,
कुण सांयत रो ताण तणैलो?
सदै राखता ताणोबेजो, भाग उणा रा किणविध जाग्या?
जंगळी जीव-जिनावर सगळा, बणी छोड़ बस्ती में आग्या।
फैलावै आतंक धरा में,
लूण छिड़कता रै’वै घावां।
आततायी बण लूटै-खावै,
कियां उणां रा काम सरावां?
मिनख खोळियै मांय डांगरा, सोक्यूं अठै खाण नै लाग्या।
जंगळी जीव-जिनावर सगळा, बणी छोड़ बस्ती में आग्या।
गैंग बणा राखी धाड़ेत्यां,
अठै-बठै नित धाड़ा दौड़ै।
अबै आदमी री बुग मरगी
दर नीं छांट उणां में छोड़ै।
पटड़ी तळै उतरगी गाड़ी, जणां प्राण कंठां में आग्या।
जंगळी जीव-जिनावर सगळा, बणी छोड़ बस्ती में आग्या।
ठेठ राज में पूग उणा री,
रैय आंगळी पांचूं घी में।
बांसां आग लगा भड़कावै,
करै आपरै आयी जी में।
मरै गादड़ो निज करमां सूं, अबै मौत रा बादळ छाग्या।
जंगळी जीव-जिनावर सगळा, बणी छोड़ बस्ती में आग्या।