चालता-चालतां ई
समै रौ हाथ
छूट जावै,
मन चाल पड़ै
मनचायी पगडांडियां
नक्स उभर आवै
म्हारा सैंधा सैण!
जोई ही जठै यूं
म्हारी बाट,
उण ठौड़
निछरावती प्रेम-सौरम
थापित करै छै
अबै अेक भरोसौ।