सावण री सूनी सेजां में,

मरवण नीर बहावै है।

साजन थारी ओळूंङी में,

कामण काग उङावै है।

बागां झूलै साथणियां सैं,

प्रीतम पींग चढावै है।

कीकर धीर धरूं म्हैं सायब,

छिण छिण याद सतावै है।

काळोङी कांठळ छावै जद,

धरणीं मौज मनावै है।

शीत सरीखी रातङली में,

प्रीतङली तङपावै है।

परभातां कोयलङी बोलै,

मदरा राग सुणावै है।

मीठा बोलै मोरलिया वे,

पिव पिव टेर लगावै है।

इब तो आवौ साजन प्यारा,

सावण बीत्यौ जावै है।

नानकङी नाजूङी बिलखै,

काळजियौ कळपावै है।

प्रीतम री ओळूं नै बंशी,

कविता मांय बतावै है।

आसी थारो साजनियो धण,

तीज तांई कमावै है।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : बंशीलाल सोलंकी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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