डोकरी डाग कानी

टूकर-टूकर देखे

अर डाग डोकरी कानी

डाग रै आगै

ठाण मांय नीरो कोनी

अर डोकरी दो दिनां सूं भूखी...

स्यात दोनूं

एक दूजै री आंख्या मांय

देख’र वै दिन याद करे

जणा सौ-सौ कूंटल धान

डोकरी कूट-पीट’र काढ़ती

अर डाग री पीठ पर लाद’र लावंती!

स्रोत
  • सिरजक : पवन 'अनाम' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै