एक हो डोकरो,

घणे चाव सूं खावतो खांड-खोपरो!

टाबरपणे में खेल्यो ना पढयो

जुआनी में ना घोड़ी चढयो

रोते नै पुचकारयो कोनी।

हांसतै नै, सरायो कोनी

आपरै घर में होयगो ओपरो!

एक हो डोकरो!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : उमाचरण महमिया ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित संगम अकादमी
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