ओ रोळ राज रो डंडो, मरुधरियै में रोळ मचावै।
काकड़िया सा कंवळा पर, हुकम आपरो चलावै॥
ओ रोळ राज रो डंडो...
लूंट मचावे धोळ दुपारै, भोळा नैं ओ भरमावै।
कूड़-कपट री करै कमाई, धन-धन आपरी करावै॥
ओ रोळ राज रो डंडो...
बांठ-बांठ में बैठा हाकम, गिंडका ज्यूं गरळावै।
उपरा-उपरी करै चूरमा, पिंडी पकड़ खा ज्यावै॥
ओ रोळ राज रो डंडो...
कागदां रा कारीगर ओ, नाडी-नाडोळयां खोदावै।
थोथो पेट भरै नही यांरौ, फैर पाछी बुरावै॥
ओ रोळ राज रो डंडो...
भांत-भंतीला टेक्सां हे, माणस हेटो दब रैयो।
रोळ राज रा रासा देख, पांणी पतळो पड़ रैयो।
ओ रोळ राज रो डंडो...।