आक्रेस्ट्रा री धुन रै सागै
म्हैं भी म्हारौ साज बजायौ
पण,
म्हारा साज री आवाज
अस्तित्वहीण, दबोच्योड़ी
निस्प्राण खोयगी है,
अर म्हैं जाणूं हूं
केई फूठरी अर सुतंत्र
आवाजां नै
उगस्यां पैली ही
गोळी दाग दी जावै
भीड़ रै सागै
‘समूह नृत्य’ में हूं भी नाच्यौ
पण, कार रा घूमता पेड़ा री दाईं
आवृत मां लुढ़कतो रेयौ
म्हारी मूक अभिव्यक्ति-
मनड़ा रौ अहम
दहाड़ा मार’र रोवतौ रेयौ
आज रौ जुग
नुंई मान्यतावां रै नाम पै
रावळा घोड़ा बावळा अस्वार व्हेग्यौ है
वांनै चाहीजै नुंवोपण
पण, आतमां वा ही पुरातन
जो नुंवा बिम्बां में नाळै है