नुवैं साल रा सुपना संजोवां,

अमन चैन रा बिजड़ला बोवां।

आसावां रा मैळ माळिया बना,

अहम-बैम अर दाळद दूर हुवै॥

जात पांत-धरम रगड़ा-झगड़ा सूं,

सिचळा राखै जे इय्ये नेतावां सूं।

नुंवौ साल बचावै हारी बीमारी सूं,

अरदास करां अन्न री कमी नीं हुवै॥

नुंवै साल में सगळां री आसा पूरी हो,

हर हाथ नै काम रा आछा दाम मिलै।

गरीब नै रोटी कपड़े री कमी ना होय,

गांव-गली आपस में हेत हत्थाई हुवै॥

जन जन री अबखायां देस सूं दूर होय,

फरेब-नफरत सूं सदा कोसां दूर होय।

नुंवौ साल देस में नुंवौ सुख संदेसो लाय,

घर-घर घी रा दीया करयां मंगल हुवै॥

स्रोत
  • सिरजक : मईनुदीन कोहरी 'नाचीज' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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