बखाण द्यो
उद्घाटण करो
चाटण चाटो
फिड़को फैंको
कींई कोनी घाटो!
जगत मांग करे
जुगती जांणो
पैंतरो बदलो
और तो और
आ-‘ को—
ना तो त्रोता
है ना सतजुग
ओ! है कलजुग
पै’ ली ल्यो
पछै द्यो।
ओ! पाँ—रगी बहतो
हाथ धोओ
थेई! पीओ
म्हानैं पाओ!
कुण, देवै!
कुण, है लेवै!
जको आ केवै—
सुणो! जुग देवता
बो! ही सागण नेता!