आजकल इश्क पर,

अर्थ कित्तो हावी है।

आजकाल गी महबूबा,

कित्ती दुनियावी है।

एक उदाहरण देखियो,

विचार गै।

प्रेमी बोल्यो,

तेरे प्यार मैं मरूं हूं।

अपणे जीवण गो,

अन्त करूं हूं।

कुएं मैं छाळ मार गै।

माशूका बोली,

मरै है तो मर।

एक नेक काम तो कर।

अब्बा गै काम आज्यगी

लंगोट तो दे जा

उतार गै।

स्रोत
  • सिरजक : रूप सिंह राजपुरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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