फसला भेळी

मुळकै नहर

बायरै री मारफत

करै बंतळ

ओळखै

जमानै री आस सूं

झूमतै जग-जीवन रो हरख

पाणी में पळकै

जूण रा रंग।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : मदन गोपाल लढ़ा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़
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