तिड़क्योड़ा किनारा

बांध’र पाछा

ठीमर ठैरी हूं

म्हारी-लय मांय।

खुद मांय सूं

काट-काट’र माटी

म्हैं किनारा बणाया है...

अब तिरणै खातर

लै'रां ना मांग

कै अबै बांधण नै

कोनी माटी

थारै कन्नै!

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम