ना पृथ्वी रा दोहा बाच्यां,

ना मीरा रै धोक लगाई।

बण्यां फिरै महाकवि

पग-पग फजीत कराई।

मुरलीधर जी व्यास आपरी

'बरसगांठ' नै सांभै

भीम पांडियो ले तुन्तुणियो

ऐकेलो ही गाजै

कुण सुणै 'चन्द्र' री काणियां

कुण 'कागद' ने बाचै

गई पाणी भरण 'पणिहारी'

पाछी घरै ना आई...

बण्यां घूमे महाकवि,

पग-पग फजीत कराई।

मोहनलाल जी पुरोहित रा

चितराम अबै कुण पोवै

जोशी जी री 'आभैपटकी'

ने पाछी कुण उठावै

टेसीटोरी सगळा नै

कह्वै आछी प्रीत निभाई

बण्यां घूमे महाकवि

पग-पग फजीत कराई।

स्रोत
  • सिरजक : योगेश व्यास राजस्थानी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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